Sunday, August 29, 2010

साथी हाथ बढाना ...........


दोस्तों मुझे ये कहते  हुए बहुत ख़ुशी  हो रही है की मुझे आपसे जुड़ने तथा  आपसे बातें करने के लिए ब्लॉग्गिंग का  बहुत  शानदार   प्लेटफोर्म  मिला  है दोस्तों में चाहता हूँ की हम निजी भावनाओं विचारों के  साथ उन चीजों को भी विशेष अहमियत दें जो हमारे आस पास घटित हो रही है चाहे वह रुरल , पोलिटिक्स या नेशनल लेवल की कोई वार्ता हो मुद्दे  या घटनाएँ या फिर ज्वलंत  मुद्दे जो आज एक अंकुर के रूप में हैं, ना जाने  हमें भविष्य में किस दिशा में ले जायेंगे या फिर हम किस तरह का भविष्य निर्माण करना चाहतें  हैं , क्या हम वर्त्तमान स्तिथी से संतुस्ट  हैं या फिर बदलाव हेतु तैयार हैं यदि हां तो यह बदलाव कब कैसे व कौन ला सकता हैं इस हेतु हम हमारे जीवन का कोई भी वैचारिक  पहलु  इस  ब्लॉग्गिंग के माध्यम से छुए बिना नहीं रहेंगे चाहे  वह राजनितिक , अर्थव्यस्था , शिक्षा , अपराध, नैतिकता ,सामाजिक, प्रतिमान ,संस्कृति या किसी भी क्षेत्र में क्या- क्या हो रहा है के बारे में आपके विचार आमंत्रित करता हूं मुझे विश्वास है आप बेबाकी के साथ पुरे जोश और  अपने को ब्लॉग की दुनिया में प्रतिष्ठित करेंगे दोस्तों यह तो एक शुरुआत है ,
मुझे आपके प्रत्युतर की प्रतीक्षा है ,सकारात्मक रूप से मैं आपके विचार कुछ इस तरह जानना चाहता हूं | की


उतेजित इन्सान की कोई हद नहीं होती वो उत्तेजना से व्याकुल हो उठता है  |
तथा किसी भी अड़चन की परवाह नहीं करता व अंतिम हद तक पहुंचा चला जाता है  ||
http://saadhanamaargam.com/%5CGodsImages%5CDevi%5CBharatMata.jpg
दोस्तों  बस एक पहल करने की जरुरत है कड़ियाँ तो अपने आप जुडती चली जाएँगी ,  एक कविता  जिसे में आपके साथ बांटना चाहता हूं  |


मैंने जिंदगी से चवन्नी का सौदा किया
और जिंदगी ने मुझे उससे  ज्यादा नहीं दिया
हालांकि जब शाम को मैंने अपनी मजदूरी गिनी तो
मैंने और ज्यादा पैसे मांगे

जिंदगी एक न्यायप्रिय मालिक है
यह उतना ही देती है जितना आप मांगते है
परन्तु एक बार जब आप अपनी मजदूरी तय कर लेते हैं
तो फिर आपको उतने  पर ही काम  करना पड़ता है
मैं एक मजदुर की पगार पर काम  करता रहा
मैंने यही सिखा और सोचकर निराश हुआ की
मैं जिंदगी से जो भी मांगता 
जिंदगी मुझे वही  ख़ुशी- ख़ुशी दे देती


दोस्तों मैंने एक कड़ी जोड़ दी है आपके जोड़ने का इंतज़ार  है |
 आपका अपना
 दयाशंकर मेनारिया

२९-८-२०१० 




Friday, August 27, 2010

एक क्रांतिकारी कदम

नमस्कार साथियों ,

                            मैं  दयाशंकर अपनी   नैसर्गिक  भावनाएं एवं  विचार आप तक तक पहूंचाने के लिए इस ब्लॉग्गिंग की दुनियां में आहिस्ता आहिस्ता पहला  कदम रख रहा हूं , आशा है कि आप अपना  सहयोग मुझे अनुज  की भांति सदैव  देते रहेंगे , इस ब्लॉग के जरियें  मै वक्त बे वक़्त आप तक अपने दिली जज्बात को पंहुचाता  रहूँगा  |


 आपका अपना दयाशंकर मेनारिया , करसाना  जिला. चित्तौडगढ़ मेवाड़ आँचल  |

एक क्रांतिकारी विचारक 

 दयाशंकर मेनारिया